Sri Nanak Prakash
५९६पंखी होइ कै जे भवा सै असमानी जाअु ॥
नदरी किसै न आवअू ना किछु पीआ न खाअु ॥
भी तेरी कीमति ना पवै हअु केवडु आखा नाअु ॥३॥
नानक कागद लख मणा पड़ि पड़ि कीचै भाअु ॥
मसू तोटि न आवई लेखंि पअुणु चलाअु ॥
भी तेरी कीमति ना पवै हअु केवडु आखा नाअु ॥४॥२॥
दोहरा: पारब्रहम बिगसे सुनति, मंत्र दीन गुरु* होइ
स्री नानक धार करो, बरन१ सुनावोण सोइ ॥५॥
अथ मंत्र:-
ੴ सतिनामु करता पुरखु निरभअु निरवैरु
अकाल मूरति अजूनी सैभं गुर प्रसादि ॥
सैया: बहुरो धुनि२ भूर गंभीर भनै३
तजिे क्रिति को, बिदतावहु४ जाई
पदबंदन को करि फेर मुरे
दुख दुंद मिटैण जिह के दरसाई विशेश टूक
जहिण ते सु गए तिह ठौर अए
सुख दास दए जिह नाम जपाई
गुरु किंकर५ ले करि चीर६ बरं७थिर८ तीर९ विईण नित होवहि आई ॥६॥
दोहरा: *जहिण प्रविशे इक कोस,
तहिण निकसे गुरू प्रबीन {संतघाट}
संत घाट अब लग बिदत,
दरसहिण सिज़ख सु चीन ॥७॥
सैया: शरधा अुर भूर निहारति१ बारि२
*वाहिगुरू जी ने गुरू होके गुर नानक ळ मंत्र दिता गुरू जी आप बी आपणे गुरू दा इहो पता
देणदे हन अपरंपर पारब्रहमु परमेसरु नानक गुर मिलिआ सोई जीअु ॥५ ॥
१आखके
२अवाज
३आखिआ रज़ब जी ने
४(इस मंत्र ळ) प्रगट करो
५दास
६कपड़े
७स्रेशट
८खड़ा
९किनारे
*लिखती नुसखिआण विच इह दोहा है, छापे दे विच नहीण है