Sri Nanak Prakash
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अभै=अ भै=निडर भवित=होके
भव=संसार विच या संसार दे
भोगू=भोग, रस मांन वाले कंम
जम लोगू=यम लोक धरम राज लोक या देश मर के प्राणी पहिले एथे जाणदा ते
अुसदे करमां दी जोख हुंदी है
भाव नाम विहूंे लेखे दे अंदर हन
अरथ: नाम तोण बिनां ध्रिकार है राज (ळ अते राज दे) समाज ळ, नाम तोण बिना
जगत दा जीवंा (निरी) शरम है
(जो लोक) निडर होके संसार (विच) भोगां ळ भोग रहे हन (ओह) नाम विहूंे जम
लोक ळ जाणगे
भाव: नाम विहूंे साईण तोण टुज़टे होए; जो नाम नाल जुड़े होए हन, मरके ओथे
जाणगे जिस नाल जुड़े हन भाव परमेशर पास जो टुज़टे हन ओह कज़टी होई
गुज़डी वाणू रुलंगे
चौपई: सुंदर मंदर अणगना* सेजा
अंत समे जम गहि करि ले जा
चतुरंगन धुजनी बल धरनी
तिह छिन काहु न ते हुइ करनी ॥४०॥
अणगना=अंगना=इसत्रीआण गहि=फड़ के लै जाएगा
चतुरंगनधुजनी=चार तर्हां दी फौज-पैदल, घोड़ सवार, हाथी ते रथां वाली
धुजनी=सैनां, फौज
बल धरनी=बल दे धारन करन वाली बलवान
करनी=मुहावरा है-किसे तोण करनी नहीण हो आअुणी; जिवेण पंजाबी विच कहीदा
है,-किसे तोण कुछ नहीण सरना-भाव किसे दी पेश नहीण जाणी
अरथ: सुहणे मंदराण, (सुहणीआण) छेजाण, ते (सुहणीआण) इसत्रीआण (विचोण) अंत समेण
जम फड़के लै जावेगा (हां) अुस छिन (विज़च) बलवान चतुरंगनी सैनां (तां
कीह) किसे तोण (वी ऐसी) करनी नहीण हो सकंी (कि जम तोण छुडा लवे)
भाव: ना सज़च है, ते भोग छिन भंगर भोगां विचोण मौत झोप लएगी ते भोग धरे रहि
जाणगे अुस वेले कोई ताकत वी मौत तोण नहीण छुडा सकेगी
गज, बाजी, संदन, बहु रंगे
होति कोश, गमने पग नगे
सिवका, डोरे तजि करि नाना
नाम बिना जम पुरी पयाना ॥४१॥
गज=हाथी बाजी=घोड़े संदन=रथ
*पाठांत्र-अंगन-बी है पर अंगन दा अरथ विहड़ा है, जो एथे ढुकदा नहीण