Sri Nanak Prakash

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हमरे संगि जानिये अस बिधि१
जस बनि काटहि सोअू२
खुशी होइ तौ निकटि रहीजै
नतु३ जावहु निज धामा
सुनि करि मरदाना अुर
भरमो, करे याद सुत बामा४ ॥११॥
जाअुण निकेत निदेस५ देहु प्रभु!
सुध तुमरी सभि देअूण
भयो तयार चलन को घर जब
बोले अलख अभेअू६सुसा७ अवास रबाब धरीजै
बहुर जाहु मरदाना!
करुनानिधि के सुनि कै बचना
पुरि महिण कियो पियाना८ ॥१२॥
गयो निकेत नानकी तब ही
भी सशंक९ जब देखा
सुंदर पीड़्हा दीन विछाई
आदर कीन विशेखा
बहुत दिवस महिण हम घर आयो
कहां रहे मरदाना?
इह रबाब की कीमति कितनी
जो अति सुंदर आना? ॥१३॥
भ्राता कौन थान अबि बैसे
कमल बदन१० गति१ दैना२?


१इहो गल है
२जैसी आ बणे तेही कटे
३नहीण तां
४पुज़तर ते वहुटी ळ
५आगा
६अलख ते अभेव रूप गुरू जी
७बेबे जी दे
८गिआ
९संसे विच
१०मुख

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