Sri Nanak Prakash

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चौपई: घटिका चतुर१ सरब परवारा२
कहो राइ, पुन गए अगारा३
अुर करि हरख बुलार बिचारा
-पूरब पाक कराअुण४ अहारा- ॥५९॥
दास पठयो५, दिज द्रज़त बुलायो
होइ प्रेम मैण बचन अलायो
मिलयो आनि करि मोहि खुदाइ
करहु रसोई दिज अब न्हाइ ॥६०॥
मम हदूर शुभ परम अहारा
अचवावहु, नहिण करहुअवारा६
सुच सोण ले जल कुंभ७ नवीना
रुचि सोण करहु पाक८, परबीना९ ॥६१॥
बिंजन१०, मधुर रुचिर करिवाए
मेवे पाइसु११ मांहि मिलाए
सूखम१२ चावर१३ घ्रिज़त१४ भुंाए१५
नाना भांति सलवन१६ बनाए ॥६२॥
दोहरा: आप अुठो ले आब१७ को, पाद पखालन१८ हेत
बैसे बर परयंक पर, श्री बेदी कुलिकेत ॥६३॥


१चार घड़ीआण
२परवार, (ओथे रिहा)
३गए घर (आपणे)
४पकवावाण भोजन (अ) पविज़त्र अहार
५भेजिआ
६डेर
७घड़ा
८रसोई
९हे सिआणे
१०भोजन
११खीर
१२बरीक
१३चावल
१४घिअु विच
१५तड़के
१६सलूंे
१७जल
१८चरन धों

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