Sri Nanak Prakash
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बेख फकीर जु संत कहावहि ॥५॥
करहु जाइ निस महिण तिह सेवा
पूर१ अूर२ को लखियहि भेवा
जब तुम पूरन देखहु कोअू
आनि बतावहु मुझ ढिग सोअू ॥६॥
सुनि करि बचन कहे जो राजा
करन लगी तिय तैसो काजा
जब फकीर को पुरि महिण आवहि
लाइ शिंगार तासु ढिग जावहिण ॥७॥
नैन कोर३ जिनां४ बान समाना५
धनुख सु भ्रिकुटी६ कुटिल७ महाना८**
जो देखै तिह तीखै लागैण
ततखिन धीरज धरम सु भागै ॥८॥
जिन को पिखि सुर मुनि जत तागैण
का कलि नर९बपुरे तिन आगै
अनिक फकीर करति बिभचारा१०
धरम भ्रिशटि है जाति गवारा ॥६॥
हिंदू तुरक तपी ब्रहमचारी
धरहिण न धीरज देखति नारी
कहैण भूप सोण कोइ न पूरा
कियौ काम११ जत सत अुर* अूरा१२ ॥१०॥
१पूरे (संत) दा
२अूंे (संत) दा
३नेत्राण दे कोंे
४जिन्हां दे
५तीराण वरगे सन
६भरवज़टे
७टेढे
८बड़े
**पा:-भ्रिकुटी धनुखहि कुटिल महाना
९कलयुग दे नर
१०माड़ा कंम
११काम देव ने कीता है
*पा:-ब्रत
१२जत सत (तोण) रिदा खाली